Wednesday, April 15, 2009
मेरे उदगार १६/०४/०९
इस रोशनी के शहर में गुमनाम दिए हैं !
हमलोग अंधेरों की हकीकत को पिए हैं !!
मत छेडिये ये शाख-ऐ-गुल खतरा है यहाँ भी
ये फूल भी काँटों की सोहबत में जीए हैं !!!
हमलोग अंधेरों की हकीकत को पिए हैं !!
मत छेडिये ये शाख-ऐ-गुल खतरा है यहाँ भी
ये फूल भी काँटों की सोहबत में जीए हैं !!!
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